चीन के महत्वाकांक्षी सिल्क रोड प्रोजेक्ट पर शुरू से ही संकट के बादल मंडराते रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान में दायमर-बाशा बांध को लेकर पाकिस्तान और चीन के बीच बात नहीं बन पा रही है। चीन इस बांध पर भी मालिकाना हक चाहता है जिसका पाकिस्तान ने कड़ा विरोध किया है।
पाकिस्तान ने कहा कि बांध पर चीन के हस्तक्षेप से उसके हितों पर भी प्रभाव पड़ेगा। दरअसल पाकिस्तान इस बांध को खुद बनाना चाहता है।
दिक्कत सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को तंजानिया से हंगरी तक कई समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। दरअसल जिन देशों में यह प्रोजेक्ट चल रहा है उनका कहना है कि इससे उन्हें बेहद कम लाभ मिल रहा है। ऐसे में या तो वहां प्रोजेक्ट बीच में ही अटके पड़े हैं या फिर बंद हो गए हैं।
प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के पीछे एक और अहम कारण राजनीतिक लाभ और हानि भी है। दरअसल कुछ देशों को लगता है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से एशिया का दिग्गज देश चीन और ताकतवर हो जाएगा। जिसका भविष्य में उन्हें खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है।
बता दें कि चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2013 में की थी। इस परियोजना के जरिए चीन अपनी विशेषज्ञता को दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाना चाहता है। एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 65 देशों को जोड़ने की चीन की इस परियोजना को 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना का नाम दिया गया, जिसे 'न्यू सिल्क रूट' के नाम से भी जाना जाता है।
चीन ने कई बार भारत को अपनी इस योजना में शामिल करना चाहा लेकिन भारत इसका विरोध करता आया है क्योंकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी इसी इनिशिएटिव परियोजना के अंतर्गत आता है।
पाकिस्तान ने कहा कि बांध पर चीन के हस्तक्षेप से उसके हितों पर भी प्रभाव पड़ेगा। दरअसल पाकिस्तान इस बांध को खुद बनाना चाहता है।
दिक्कत सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को तंजानिया से हंगरी तक कई समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। दरअसल जिन देशों में यह प्रोजेक्ट चल रहा है उनका कहना है कि इससे उन्हें बेहद कम लाभ मिल रहा है। ऐसे में या तो वहां प्रोजेक्ट बीच में ही अटके पड़े हैं या फिर बंद हो गए हैं।
प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के पीछे एक और अहम कारण राजनीतिक लाभ और हानि भी है। दरअसल कुछ देशों को लगता है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से एशिया का दिग्गज देश चीन और ताकतवर हो जाएगा। जिसका भविष्य में उन्हें खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है।
बता दें कि चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2013 में की थी। इस परियोजना के जरिए चीन अपनी विशेषज्ञता को दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाना चाहता है। एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 65 देशों को जोड़ने की चीन की इस परियोजना को 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना का नाम दिया गया, जिसे 'न्यू सिल्क रूट' के नाम से भी जाना जाता है।
चीन ने कई बार भारत को अपनी इस योजना में शामिल करना चाहा लेकिन भारत इसका विरोध करता आया है क्योंकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी इसी इनिशिएटिव परियोजना के अंतर्गत आता है।
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